Moral Stories in Hindi For class 5 : आज हम आपके लिए हिंदी की कहानी लेकर आए हैं,जिसके माध्यम से आप बच्चों में नैतिकता का विकास कर सकते हैं और हिंदी भाषा को रुचिकर बना सकते हैं । इन कहानियों का मुख्य उद्देश्य बच्चों की कल्पनाशीलता का विकास करना और उनमें नैतिकता,सामाजिकता आदि जैसे गुणों को विकसित करना है । यह कहानियां कक्षा 5 तक के विद्यार्थियों के लिए बहुत ही रुचि कर और दिलचस्प हैं । आज की इस हिंदी की कहानी का शीर्षक है-” शाहजहां का हीरा” (Short Story in hindi )आइए साथ मिलकर इस कहानी को पढ़ते हैं ।
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शाहजहां का हीरा : Short Moral Stories In Hindi
जब हम लाल किले के दरवाजे से बाहर निकले तो शाम हो रही थी । उस दिन आकाश में दिनभर बादल छाए रहे थे पर पानी नहीं बरसा था । अतः अंधेरा को जल्दी गिराया था ।
कुल मिलाकर हम 12 लड़के थे । हमने जी भर कर लाल किले का कोना कोना देखा था । सभी के चेहरे पर तृप्ति की चमक थी । पर शेखर एक ऐसा व्यक्ति था जिसके चेहरे पर कोई ऐसी चमक न थी, और वह कुछ घबराया हुआ सा लगता था । मुझे बहुत बुरा लगा, क्योंकि एक तो वह मेरा सहपाठी था, दूसरे हम दोनों के घर पास में थे मैंने शेखर को अलग ले जाकर पूछा-‘ भाई, शेखर मुंह क्यों लटकाए हो? कुछ खो दिया क्या?
मेरा प्रश्न सुनकर शेखर और भी घबरा गया । मानव चोर चोरी करता हुआ पकड़ा गया हो । मैंने देखा, वह बोलने की चेष्टा करता था, पढ़ने जाने क्यों, उसके मुख से शब्द ही नहीं निकल रहे थे । आखिर वह खींच कर मुझे ले आया, जहां हमारे पास कोई आदमी नहीं था । उसी जगह के निकट लाल किले में जाने के लिए टिकट मिला करते थे पूर्णविराम उस समय टिकट बाबू टिकट घर बंद करके जा चुका था ।
मैंने शेखर से पूछा-‘ आखिर बात क्या है? देखता हूं तुम्हारी टांगें कांप रही है । आखिर कुछ बताओ तो सही ।’
इस पर शेखर किसी प्रकार यह कह पाया-‘ वीर, मैं तुम्हें अपना एक अभिन्न और विश्वस्त मित्र समझता हूं । बोलो, यदि तुम्हें अपना कोई भेद बता दूं तो क्या उसे अपने दिल में रख सकोगे’?
अजीब मुसीबत थी । शेखर मुझसे पहले ही प्रतिज्ञा करवा लेना चाहता था । वैसे मैं कभी स्वामी ने भरता पर शेखर के चेहरे का एक रंग जा रहा था एक आ रहा था । इसीलिए मैंने कहा-‘, हां, बाबा हां । यदि हो सका तो तुम्हारी कुछ सहायता भी करने की कोशिश करूंगा ।
हीरा! मेरे मुख से आश्चर्य भरी आवाज निकली- ‘ क्या कह रहे हो?’
शेखर की घबराहट में इतनी अधिकता आ गई, कि उसके लिए बात करना कठिन हो गया पूर्णविराम मैंने कहा-; मेरे भाई जो कुछ है स्पष्ट क्यों नहीं करते ।
शेखर ने कहा-‘ मुगल सम्राट शाहजहां ने लाल किले की दीवारें में हीरे मोती जुड़वाएं थे ।
मैं समझता हूं कि यह उनमें से ही एक है । जब तुम उस सुंदर नहर वाले बाप को पार कर गए थे तो म मैं कुछ पीछे रह गया था । एक ही स्थान पर मुझे ठोकर लगी, और जमीन से यह हीरा बाहर निकल आया ।’ यह सब शेखर एक साथ में ही कह गया ।
मेरे समझ में नहीं आ रहा था कि क्या कहूं । एक तो शेखर को वचन दे चुका था, कि उसका भेद किसी पर प्रकट नहीं करूंगा, इसीलिए किसी से बात करने का प्रश्न ही नहीं उठता था । दूसरे हमारे सभी साथी जा चुके थे । मैं बड़े असमंजस में पड़ गया था । फिर बोला- ‘ जरा हीरा निकालो तो । मैं फिर देखूं ।’
मेरा इतना कहते ही शेखर इतना डर गया कि मुझे लगा वह रो पड़ेगा । काटते हुए शब्दों में वह बोला-‘ नहीं नहीं, यदि किसी ने देख लिया तो पुलिस वाले पकड़ ले जाएंगे ।’
मैंने कहा-‘ शेखर, एक बात कहूं मानोगे?’
; कहो ‘
मैंने कहा- ‘ शेखर मैं देख रहा हूं कि तुम बहुत घबराए हो । यदि तुम इस हीरे को लाल किले के किसी अधिकारी के हवाले कर दो तो तुम्हारी घबराहट दूर हो सकती है । नहीं तो यदि किसी ने देख लिया तो अच्छा नहीं होगा ।
शेखर ने मानव सारी शक्ति समेटे हुए कहा-‘ हरगिज़ नहीं, कभी नहीं । मैंने नेट तो इसकी चोरी की है, और ना किसी से छीना है । मैंने इसे पाया है, और पाई हुई वस्तु पर पाने वाले का पूरा पूरा अधिकार है ।’
मैंने कहा- ‘ लेकिन, शेखर, तुम गलती कर रहे हो । यह सरकारी चीज है, और इतिहास की दृष्टि से इसका बहुत महत्व है । और फिर यह तुम्हारे किसी मतलब की है भी नहीं ।’
‘ किसी मतलब कि नहीं!’ शेखर ने मुझे ठोकते हुए कहा- जानते हो, इसकी कीमत क्या है । लाखों रुपए है ! मैं इसकी बदौलत बड़ा होकर विलायत तक पढ़ने जा सकता हूं डॉक्टर बन सकता हूं । और तुम कहते हो, कि किसी मतलब कि नहीं ।’
मैंने कहा-‘ जो हो, बेहतर यही है कि हम इसे सरकार के हवाले कर दें ।’
शेखर ने आवेश में आकर कहा- ‘ मैं नहीं समझता था कि तुम मुझे ऐसी सजा दोगे । यदि इस बात का मुझे पहले ही पता होता, तो मैं हर कीजिए भेद तुम पर प्रकट ना करता ।’ और इतना कहकर वह चलने को हुआ ।
मैंने उसे रोकते हुए कहा शेखर तुम मेरे बारे में जो मर्जी हो, सोचो पर तुम गलत मार्ग पर हो । तुम्हारा भेद मैं किसी पर प्रकट नहीं करूंगा । मैं तुम्हें वचन दे चुका हूं । चलो, अब घर चलो । अंधेरा बढ़ रहा है ।’
, हम दोनों चुपचाप बस स्टैंड की तरफ बढ़ने लगे । सामने चौक की दुकानें बिजली की रोशनी से जगमग आ रही थी । पर हमारा ध्यान उधर नहीं था । बस के लिए हमें कुछ देर प्रतीक्षा करनी पड़ी । इस बीच में हम दोनों एक दूसरे से बोले नहीं, और जब बस आई, तो चुपचाप उस में बैठ गए पूर्णविराम जब उतरे, तो भी हमने एक दूसरे को नमस्ते के अतिरिक्त कुछ नहीं कहा, और अपने अपने घर चले दिए । मैंने शेखर को इसलिए नहीं बुलाया क्योंकि मैं समझता था कि उसके दिल में पाप है ।
घर जाकर मैं नहाया धोया पूर्णविराम खाना खाने का मन नहीं था, पर फिर भी थोड़ा बहुत खा कर छत पर जाकर सो गया पूर्णविराम पर नींद नहीं आई । शेखर का किस्सा मेरे दिल को पूरी तरह आप । बार-बार मैंने मेरे मन में विचार आता था कि शेखर ने अच्छा नहीं किया । पता नहीं, हीरे की कितनी कीमत हो ? यह भी ठीक ठीक नहीं कहा जा सकता था कि वह हीरा शेखर को ठोकर लग कर मिला था, अथवा उसने किसी दीवार से निकाला था । ऐसे ही विचार सारी रात मेरे मन में आते रहे, और मैं करवटें बदलते बदलते सो गया, न जाने कब ।
सुबह जब उठा, तो मेरा सिर भारी भारी था । मैंने नीचे जाकर सिर धोया और अपने कमरे में आकर पढ़ने लगा । कुछ देर ही हुई थी, कि मैं किसी के दिनेश्वर से चोपड़ा । घूम कर जो पीछे देखा, तो शेखर को खड़ा पाया । किताब पटक कर मैं उठ खड़ा हुआ । बोला-‘ शेखर, क्या बात है?
‘ मैंने देखा शेखर का चेहरा उतरा हुआ था । लगता था वह सारी रात सोया ना हो ।
शेखर ने चुपके से जेब में हाथ डाला और वह हीरा निकालकर मेरी हथेली पर रख दिया । मेरी समझ में नहीं आया, कि शेखर ने रातों-रात ऐसा क्या परिवर्तन हो गया । मेरी तरफ देखे बिना शेखर ने कहा-‘ भैया, बेहद शर्मिंदा हूं । यदि मैंने कल शाम ही तुम्हारा कहना मान लिया होता, तो….’
मैं फट से पूछ बैठा-‘ तो…. तो क्या होता….’
शेखर ने नीचे देखते हुए कहा-‘ तो आज मुझे इतना लज्जित ना होना पड़ता ।’
मैंने कहा-‘ लेकिन मैं समझा नहीं, तुम्हारे कहने का क्या मतलब है ?’
शेखर ने उदासीन स्वर में कहा-‘ भैया वीर, यह हीरा असली नहीं है । कल रात घर वापस आकर मैंने इसे पिताजी को दिखाया था । जब मैंने कहा इसकी कीमत लाखों रुपए हो सकती है, तो पिताजी बड़े जोर से हंसते हुए बोले-‘ बुद्धू मियां, कच्चे हीरे कौन छोड़ता है ? यह सच है कि मुगल सम्राट शाहजहां ने हीरे मोती दीवारों में जुड़वाएं थे, पर वह अब कहां रहे । उन्हें तो अंग्रेज निकलवा कर ले गए और उनकी जगह यह शीशे के टुकड़े झड़ गए ।’ इतना कहकर शेखर का मुंह ऐसा हो गया, मानव व परसों नहाया ने हो और ने सिर में तेल डाला हो ।
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Moral Stories in hindi
यहां हम आपके लिए हिंदी की बेहद ही दिलचस्प और नैतिकता का विकास करने वाली कहानी प्रस्तुत की है । इस शॉर्ट स्टोरी से बच्चों में कल्पनाशीलता गहनता नैतिकता सामाजिकता आदि गुणवत्ता का विकास होता है । यह कहानियां बच्चों में एकाग्रता और अपने आसपास की चीजों को समझने में सहायता करती हैं ।