Samas Kise Kahte hai : कम से कम शब्दों में अधिक से अधिक भावों एवं विचारों को व्यक्त करना एक कला है तथा भाषा को प्रभावशाली बनाने में इसका अपना अलग महत्व है। शब्दों में उपसर्ग एवं प्रत्यय को जोड़ने के अलावा भाषा की संक्षिप्त आ एवं पूर्ण भाव व्यक्ति के लिए समाज का भी प्रयोग किया जाता है । समास (samas) का अर्थ है-संक्षेप या छोटा करने की विधि ।
Your Queries :
- Samas kise kahte Hai
- Samas in Hindi
- Samas के भेद एवं परिभाषा
- तत्पुरुष समास के भेद एवं परिभाषा
- कर्मधारय समास (samas) क्या होता है ?
- दिगु समास क्या होता है ?
समास किसे कहते हैं | Samas in Hindi
समास (samas) की परिभाषा निम्न शब्दों में दी जा सकती है-
समास (Samas) हिंदी व्याकरण का एक महत्वपूर्ण भाग है, जो शब्द रचना को सुंदर बनाने में सहायक होता है। इसका उपयोग विशेषता एवं संक्षेप के लिए किया जाता है। यह भाषा को सुंदर और भव्य बनाने का एक अद्वितीय तरीका है।
निम्न उदाहरण-
माता और पिता = माता-पिता
राजा का महल= राज महल
रात ही रात में = रातों-रात
दही में डूबा हुआ बड़ा = दही बड़ा
ध्यान में मग्न = ध्यान मग्न
राजा का पुत्र = राजपूत्र
निम्न उदाहरणों से यह स्पष्ट है कि-
(1) दो या दो से अधिक शब्दों के मेल को समाज कहते हैं ।
(2) समाज के प्रयोग से भाषा में संक्षिप्तता तथा उत्कृष्टता आती है । अतः शब्दों का मेल इस प्रकार करते हैं कि उद्देश्य पूर्ण हो सके ।
(3) मेल होने वाले शब्द आपस में किसी न किसी प्रकार संबंधित होते हैं । ए संबंधित शब्दों का मेल हास्यप्रद लगता है तथा इस मेल को समाज नहीं कहते हैं ।
शब्दों को मिलाने से जो नया पद बनता है उसे समस्त पद कहते हैं । जैसे-
महान है जो आत्मा = महात्मा
दिन और रात = दिन रात
उपयुक्त उदाहरण में महात्मा तथा दिन-रात समस्त पद है ।
समस्त पद को पहले जैसी अवस्था में लाने की क्रिया को समास विग्रह कहते हैं । जैसे-
देशवासी = देश के वासी
चौमासा = 4 वर्षों का समूह
विद्याधन = विद्या रूपी धन
घनश्याम = घन के समान श्याम
ऊपर दिए गए उदाहरण के माध्यम से समाज के समस्त पद व समास विग्रह को स्पष्ट रूप से समझा जा सकता है ।
समास (Samas) के भेद एवं परिभाषा
समस्त पदों की प्रधानता के आधार पर समाज कई प्रकार के होते हैं । समस्त पदों में कभी प्रथम पद प्रधान होता है, कभी मध्य, कभी अंतिम तथा कभी दोनों तथा कभी अन्य पद । इस आधार पर समाज के निम्न भेद हैं-
(1) अव्ययीभाव समास (पूर्व पद प्रधान)
(2) तत्पुरुष समास (उत्तर पद प्रधान)
(3) द्वंद समास (दोनों पद-प्रधान)
(4) बहुव्रीहि समास (अन्य पद प्रधान)
अव्ययीभाव समास (Samas)
जिस समाज में समस्त पद का पहला पद प्रधान होता है, वह अव्य तथा उसके मेल से समस्त पद भी अव्यय बन जाता है । इसमें विभक्ति चिन्ह भी नहीं लगता तथा पूर्व पद अव्यय होने के कारण उसका रूप कभी भी नहीं बदलता । जैसे-
विग्रह समस्त पद
काबू के बिना बेकाबू
डर के बिना निडर
रूप के योग्य अनुरूप
समुद्र पर्यंत आ समुद्र
शक्ति के अनुसार- यथाशक्ति
पेट भर कर भरपेट
कई बार अव्ययीभाव समास में शब्दों की आवृत्ति होती है, अर्थात पहले वाला शब्द दोबारा आता है । जैसे-
विग्रह समस्त पद
एक कान से दूसरे कान कानो कान
हर रोज रोज-रोज
हाथी हाथ में हाथों हाथ
रात ही रात में रातों-रात
तत्पुरुष समास Tatpurus Samas
के समाज के समस्त पद का पहला पद संज्ञा हो तथा गॉड हो और उत्तर पद प्रधान हो, उसे तत्पुरुष समास कहते हैं । इसके विग्रह में कारक चिन्ह का प्रयोग होता है, किंतु समस्त पद में कारक चिन्हों का (का की, के को) का प्रयोग नहीं होता । कारक चिन्ह की दृष्टि से तत्पुरुष समास के 6 भेद (करता एवं संबोधन को छोड़कर) माने गए हैं-
तत्पुरुष समास के भेद एवं परिभाषा
1) कर्म तत्पुरुष
2) करण तत्पुरुष
3) संप्रदान तत्पुरुष
4) अपादान तत्पुरुष
5) संबंध तत्पुरुष
6) अधिकरण तत्पुरुष
कर्म तत्पुरुष-(को)
विग्रह समस्त पद
शरण कुमावत शरणागत
मरण को आसन मरणासन्न
स्वर्ग को गया स्वर्ग गत
यश को प्राप्त यश प्राप्त
करण तत्पुरुष-(से, द्वारा)
विग्रह समस्त पद
तुलसी द्वारा रचित तुलसीकृत
जैसी द्वारा रचित जय स्वीकृत
हस्त से लिखित हस्तलिखित
रोग से पीड़ित रोग पीड़ित
रेखा से अंकित रेखांकित
संप्रदान तत्पुरुष- (के लिए)
विग्रह समस्त पद
युद्ध के लिए भूमि युद्ध भूमि
क्रीडा के लिए कक्ष क्रीडा कक्ष
चयन के लिए कक्ष शयन कक्ष
यज्ञ के लिए शाला यज्ञशाला
अपादान तत्पुरुष – (अलग होने के लिए)
संबंध तत्पुरुष- (का, की, के)
अधिकरण तत्पुरुष-(में, पे, पर)
उत्तर पद की प्रधानता की दृष्टि से तत्पुरुष के दो भेद माने जाते हैं ।
1) कर्मधारय समास
2) दिगु समास
कर्मधारय समास (samas) क्या होता है ?
जिस समास में समस्त पद का उत्तर प्रधान हो तथा पूर्व पद एवं उत्तर पद विशेषण विशेष्य अथवा उपमान, उपमेय का संबंध हो, ऐसे समाज को कर्मधारय समास कहते हैं । जैसे
विशेषण विशेष्य-
विग्रह समस्त पद
लाल है जो टोपी लाल टोपी
कृष्ण है सर्प कृष्णसर्प
महान है जो राजा महाराजा
पीला है जिसका अंबर पितांबर
भला है जो मानस भला मानस
उपमान उपमेय-
विग्रह समस्त पद
कुसुम के समान कोमल कुसुम कोमल
धन के समान श्याम घनश्याम
चंद्रमा के समान चंद्रमुखी
कनक के समान लता कनकलता
कमल के समान रखने वाली कमल नयनी
उपमेय उपमान वाचक-
विग्रह समस्त पद
भाव रूपी सागर भवसागर
विद्या रूपी धन विद्याधन
देह रूपी लता देह लता
ग्रंथ रूपी रत्न ग्रंथ रत्न
दिगु समास क्या होता है ? Digu Samas
जिस समस्त पद का उत्तर पद प्रधान होता है तथा पूर्व पद संख्या को दर्शाता है ऐसी समाज को दिगु समास कहते हैं । क्योंकि इसमें पूर्व पद तथा उत्तर पद में विशेषण विशेष्य का संबंध होता है इसलिए इसे कर्मधारय समास का उपभेद बताते हैं ।
विग्रह | समस्त पद |
दो पैरों का समूह | दोपहर |
4 मासों का समूह | चौमासा |
10 मुखो का समूह | दशानन |
नौ ग्रहों का समूह | नवग्रह |
द्वंद समास-
जिस समस्त पद में दोनों पद प्रधान होते हैं । इसमें इन को मिलाने वाले समुच्चयबोधक अव्यय का लॉक हो जाता है, जो कि और, तथा व तथा एवं होते हैं ।
विग्रह समस्त पद
राधा और कृष्ण राधा-कृष्ण
सुख और दुख सुख-दुख
भाई और बहन भाई बहन
चाचा और चाची चाचा चाची
गंगा और यमुना गंगा यमुना
बहुव्रीहि समास किसे कहते हैं ?
ऐसे समास जिनके समस्त पद का कोई भी पद प्रधान नहीं होता, बल्कि कोई अन्य पद प्रधान होता है । इस समाज से बने शब्द विशेषण का कार्य करते हैं ।
विग्रह समस्त पद
श्वेतांबर वाली श्वेतांबरी (सरस्वती)
लंबा है उधर जिसका लंबोदर (गणेश)
नीला है कंठ जिसका नीलकंठ (शिव)
आठवें अध्याय जिसके अष्टाध्याई
चार है भुजाएं जिसकी चतुर्भुज (विष्णु)
संधि (Sandhi) एवं समास(Samas) में भेद
सामान्य तौर पर संधि (sandhi) तथा समाज एक ही लगते हैं । क्योंकि दोनों में ही भाषा को सुंदर एवं प्रभावशाली बनाने का गुण विद्यमान है तथा दोनों में ही मेल होता है । परंतु ध्यान से अध्ययन करने पर दोनों में निम्न अंतर स्पष्ट होते हैं । जैसे-
1) दो वर्णों के मेल को संधि कहते हैं । जैसे-
अति + आदि = इत्यादि
पित्र + आज्ञा = पित्र आज्ञा
दो या दो से अधिक शब्दों के मेल को समाज कहते हैं । जैसे-
दिन रात = दिन और रात
देश निकाला = देश से निकाला
इन उदाहरणों में दिन, रात, देश, निकाला आदि शब्दों का मेल होता है तथा इनकी मेल से अन्य शब्द की रचना की गई है ।
2) संधि का संबंध वर्णों के मेल से पैदा हुए विकास से है ।
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Samas Kise Kahte Hai
दो या दो से अधिक परस्पर संबंधित शब्दों के मेल से एक नया शब्द बनाने की प्रक्रिया को समास कहते हैं ।
समास कितने प्रकार के होते हैं?
(1) अव्ययीभाव समास (पूर्व पद प्रधान)
(2) तत्पुरुष समास (उत्तर पद प्रधान)
(3) द्वंद समास (दोनों पद-प्रधान)
(4) बहुव्रीहि समास (अन्य पद प्रधान)